संकट मोचन हनुमान मंदिर, वाराणसी | Sankat Mochan Hanuman Temple, Varanasi

क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर है जहाँ पर तुलसीदास जी को पहली बार साक्षात् हनुमान जी के दर्शन हुए थे? वाराणसी में स्थित हनुमान जी का मंदिर जिसे ‘संकट मोचन मंदिर’ के नाम से जाना जाता है और यहाँ पर हनुमान जी की मूर्ति खुद तुलसीदास जी ने स्थापित की थी।

संकट मोचन हनुमान मंदिर का इतिहास | History of Sankat Mochan Mandir, Varanasi 

गोस्वामी तुलसीदास जी बहुत सालों तक वाराणसी में रहे थे। ऐसा कहा जाता है कि तुलसीदास जी ने कभी भी वाराणसी की पूज्य धरती को कभी खराब या मैला नहीं किया। वे अपना नित्य कार्य करने, बोट में सवार होकर, गंगा माँ से 3-4 किलोमीटर दूर जाया करते थे। काशी में एंट्री करने से पहले वे हमेशा गंगा स्नान किया करते थे। इस बात का प्रमाण “अस्सी घाट” पर मिलता है। जहाँ पर आज भी एक छोटी सी “बोट” है और लोगों का मानना है कि यह बोट स्वामी तुलसीदास जी की है।

जब भी तुलसीदास जी अपने नित्य कार्य करके वापिस काशी आते थे तो उनके कमंडल में बचे हुए पानी को वह एक ट्री पर डाल दिया करते थे। उस ट्री पर एक प्रेत आतिश निवास करती थी। एक बार उस प्रेत में स्वामी तुलसीदास जी को बोला कि “मैं बहुत समय से प्यासा था और आपने मेरी प्यास को तृप्त कर दिया, आपने मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है, बताइए मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ”? तो स्वामी तुलसीदास जी ने उत्तर दिया कि “अगर आप मुझे कुछ देना है तो, मुझे रघुनाथ जी के दर्शन करवा दो।” प्रेत ने जवाब दिया कि “स्वामी जी अगर हमारा यह सामर्थ्य होता तो हम ‘प्रेत योनि’ क्यों भोगते? पर आपको यह जरूर बता सकते हैं कि कैसे आप रघुनाथ जी के दर्शन कर सकते हैं।

काशी में एक जगह पर हर दिन ‘राम कथा’ होती है और उस कथा में हनुमान जी रोज़ाना आते हैं। वे कुष्ट रोगी का रूप धारण करके सबसे पहले आते हैं और पीछे जाकर बैठ जाते हैं। एक हनुमान जी हैं जो आपके रघुनाथ जी के दर्शन करवा सकते हैं। अगले दिन, तुलसीदास जी उस कथा में जाते हैं और जैसे ही प्रेत ने बताया था उन्होंने हनुमान जी को पहचान लिया। आज के संकट मोचन मंदिर में जहाँ पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है वहीं पर ही तुलसीदास जी ने हनुमान जी को बैठे हुए देखा था।

तुलसीदास जी ने हनुमान जी को स्पर्श करके नात-मस्तक किया, इस पर हनुमान जी ने बोला “राम राम, हे स्वामी जी मैं कुष्ट रोगी हूँ, आप मुझे टच मत करें”। तुलसीदास जी ने कहा, “प्रभु मैं आपको पहचान चुका हूँ और आपको मेरी प्रार्थना सुननी ही पड़ेगी, आपको मुझे श्री रघुनाथ जी के दर्शन कराने होंगे।” तुलसीदास जी की भक्ति से प्रसन्न होकर, हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें बताया कि “श्री राम के दर्शन उन्हें चित्रकूट में होंगे।”

इस मंदिर को “वानर मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस मंदिर के आसपास “वानरों” की संख्या बहुत है। आमतौर पर भारत में, किसी भी हनुमान मंदिर में सबसे पहले हनुमान जी की आरती होती है, लेकिन इस मंदिर में सबसे पहले भगवान नरसिंह की आरती होती है।

दोस्तों, आप भी जरूर इस मंदिर के दर्शन के लिए जाएँ। संकट मोचन भगवान आपकी सारी इच्छाएं पूरी करेंगे।

 

संकट मोचन मंदिर, वाराणसी का समय | Sankat Mochan Mandir timing:-

संकट मोचन मंदिर में प्रवेश मुफ्त है। मंदिर प्रतिदिन सुबह 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुला रहता है। आरती का समय अलग-अलग होता है। सुबह की आरती सुबह 4:00 बजे और शाम की आरती रात 9:00 बजे होती है।

संकट मोचन मंदिर, वाराणसी का सर्वोत्तम समय यात्रा के लिए | Best time to Visit Sankat Mochan Mandir, Varanasi :-

संकट मोचन मंदिर साल भर खुला रहता है, जिससे यात्रियों को अपनी सुविधा के अनुसार आने की सुविधा होती है। माना जाता है कि मंदिर दर्शन के लिए सबसे अच्छे दिन मंगलवार