भारत के सबसे रहस्यमय शिव मंदिर :- मतंगेश्वर मंदिर (Matangeshwar Temple)

क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जहां स्थापित शिवलिंग जीवित अवस्था में है? यदि हां, तो आपने सही सुना है, इस बात की पुष्टि खुद वैज्ञानिकों ने की है।

शिवलिंग की स्थापना एक चमत्कारी मणि के ऊपर की गई है। ये शिवलिंग पूरी दुनिया का ऐसा शिवलिंग है जो जितनी जमीन के ऊपर है उतनी वह जमीन के नीचे भी। मध्य प्रदेश के खजुराहो शहर में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। ये मंदिर मतंगेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

खजुराहो (Khajurao) का मतंगेश्वर महादेव मंदिर (Matangeshwar temple) किसी भी महान आश्चर्य से कम नहीं है। इस मंदिर में विशाल शिवलिंग विद्यमान है, जो एक मीटर ऊंचा और एक मीटर व्यास का है। सिद्धांत यह है कि मूर्तिकला जमीन के ऊपर भी है, मूर्तिकला जमीन के नीचे भी है। कहा जाता है कि इस मंदिर में शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। इसी कारण से यह मंदिर आदि देव और आदिशक्ति के पवित्र प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

 

मतंगेश्वर लिंग का आकार | Size of Shivling in Matangeshwar Temple 

मतंगेश्वर लिंग का आकार पृथ्वी के ऊपर और नीचे हर साल बढ़ता है। धरती के अंदर तो इस की पुष्टि संभव नहीं है। लेकिन पृथ्वी के ऊपर हर साल की कार्तिक पूर्णिमा के दिन पर्यटन विभाग के कर्मचारी इस लिंग की गणना करते हैं। इससे पता चलता है कि इस का आकार हर साल बढ़ रहा है।

मतंगेश्वर मंदिर का इतिहास | Matangeshwar Temple History

क्या इस मंदिर का नाम महर्षि मतंग के नाम पर पड़ा है। ये मंदिर बहुत है प्राचीन बताया जाता है क्योंकि यहां पर शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। कहा जाता है कि मंदिर महाभारत काल से बना हुआ है। यहां मंदिर मनोकामनाएं पूरी करने के लिए जाना जाता है। यहां पर श्राद्धलूओं की भीड़ रहती है।

मणि के ऊपर शिवलिंग की स्थापना है वो मणि, खुद भगवान शिव ने सम्राट युधिष्ठिर को उपहार कारी थी। ये चमत्कारी मणि सारी कामनाओं को पुरा करती है। बाद में संन्यास धारण करते हुए युधिष्ठिर ने इसे ऋषि मतंग को दान दे दिया था। महर्षि मतंग ने ये मणि राजा हर्षवर्मन को दे दी थी और राजा हर्षवर्मन ने लोक कल्याण के लिए इस मणि को जमीन के नीचे डाल दिया था और शिवलिंग की स्थापना की थी। तभी यहां पर सभी की इच्छाएं यहां पर पूरी होती हैं।

 

 

मंदिर तक कैसे पहुंचे | How to reach Matangeshwar Temple :- 

मतंगेश्वर खजुराहो ट्रेन द्वारा | By Train 

प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के छतरपुर में है। खजुराहो का अपना रेलवे स्टेशन है, हालाँकि खजुराहो रेलवे स्टेशन भारत के कई शहरों से जुड़ा नहीं है।

खजुराहो-हजरत निजामुद्दीन एक्सप्रेस नामक खजुराहो के लिए नई दिल्ली से एक नियमित ट्रेन है, जो खजुराहो पहुंचने के लिए लगभग 10 से 11 घंटे का समय लेती है।

 

मतंगेश्वर खजुराहो सड़क मार्ग द्वारा | By Road :- 

khajuraho mandir mp के अन्य शहरों के साथ अच्छा सड़क संपर्क है। मध्य प्रदेश के आसपास और सतना (116 किमी), महोबा (70 किमी), झांसी (230 किमी), ग्वालियर (280 किमी), भोपाल (375 किमी) और इंदौर (565 किमी) जैसे शहरों से एमपी पर्यटन की कई सीधी बसें उपलब्ध हैं।

एनएच 75 खजुराहो को इन सभी प्रमुख स्थलों से जोड़ता है। अगर आप रोड से खजुराहो जाना चाहते हैं तो, यह बिल्कुल भी समस्या वाला नहीं है क्योंकि खजुराहो तक पहुंचना काफी आसान है।