वैष्णो देवी मंदिर की रहस्यमयी आभा | The enigmatic aura of Mata Vaishnodevi temple

श्री माता वैष्णो देवी जी (Maa VaishnoDevi) के पवित्र तीर्थ की तीर्थयात्रा को हमारे समय के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक माना जाता है। चांद मांगी मुरादीन पूरी करने वाली माता के रूप में दुनिया भर में लोकप्रिय, जिसका अर्थ है, माता जो अपने बच्चों की हर इच्छा को पूरा करती है.

आज मैं मां वैष्णो देवी (Maa vaishno devi) के बारे में कुछ रहस्यमय रहस्य साझा करूंगा जो आपने कभी नहीं सुना होगा।माँ के दर्शन करने से सारे दुःख पाप सब कट जाते हैं। माता के दरबार में झोली फेलाने वाले को माता कभी खाली हाथ नहीं जाने देती। आपने भी जरूर माता वैष्णोदेवी के दरबार में हजारी लगाई होगी।

ये है कुछ रहस्य जो माता वैष्णोदेवी से जुड़ा है | Exploring the hidden wonders of Maa Vaishnodevi temple :- 

  • हिंदू प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, मां वैष्णोदेवी देवी का जन्म रामेश्वरम के समुद्र तट पर हुआ था। उनको माता पिता बहुत समय तक बिना संतान के। उसी दौरन माता ने रत्नागर नाम के व्यक्ति के घर पर जनम इलिया। उनके जन्म से पहले उनके पिता ने शपथ ली थी कि वह कभी भी उनकी इच्छाओं के बीच नहीं आएंगे। बचपन में माँ वैष्णोदेवी को त्रिकूटा कहा जाता था। चूंकि वह विष्णु के वंश से पैदा हुई थीं, इसलिए उन्हें वैष्णवी कहा जाता था।
  • मां वैष्णोदेवी मंदिर का निर्माण 700 साल पुराना, पहले श्रीधर पुजारी ने किया था। वह बहुत गरीब था और माता वैष्णोदेवी का भक्त था। ऐसा कहा जाता है कि एक दिन श्रीधर को सपने में माता ने दर्शन दिए और भंडारा कराने को बोला। माँ की आज्ञानुसर श्रीधर ने भण्डारे की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन पैसे और भोजन की कमी के कारण उन्हें इतने बड़े स्तर के भंडारे की व्यवस्था करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। भंडारे के दिन बुलाए गए सभी लोग श्रीधर के घर में बैठ गए। श्रीधर ने एक छोटी बच्ची को अपने घर में देखा जिसका नाम वैष्णवी था। देवी के चरण पड़ते वह घर अपने आप बढ़ने लगा और भंडारे में खाने की कमी बी नई हुई। जब श्रीधर ने माँ से मिलना चाहा तब तक माँ जा चुकी थी। कुछ दिनों बाद माँ ने श्रीधर को सपने में दर्शन दिए और वैष्णोदेवी की गुफा के बारे में बताया। तब श्रीधर ने वो गुफा को ढूंढा, मंदिर बनवाया और मंदिर की सेवा की. 
  • वैष्णोदेवी मंदिर में 2 गुफाएं हैं। जिस्म से 1 गुफा गर्भजून के नाम से जानी जाती है। यहां पर मां ने 9 महीने तक तपस्या की थी। दूसरी गुफा में मां 3 पिंडियों के रूप में विराजमान हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये पिंडियों में मां सरस्वती, मां काली, मां लक्ष्मी की हैं। यहां पर माता वैष्णोदेवी अदृष्य रूप में है। फिर भी ये जगह मां वैष्णोदेवी के नाम से जानी जाती है।
  • माता वैष्णोदेवी ने भैरव को त्रिशूल से मारा था। माता के भवन से 2 किमी दूर भैरव का मंदिर है। कहा जाता है कि बिना भैरव मंदिर के दर्शन के लिए माता की पूजा पूरी नहीं होती।
  • महाभारत में जो पांडव और कौरवों के युद्ध के बारे में बताया गया है उसमें मां वैष्णोदेवी की पूजा का उल्लेख है। कहा जाता है कि युद्ध से पहले, कृष्ण की सलाह पर मां की पूजा की गई थी, और मां ने पूजा से खुश होकर पांडवों को दर्शन दिए थे।
  • गुरु गोबिंद जी ने माँ वैष्णोदेवी की यात्रा की थी। और ये मन जाता है कि स्वामी विवेकानन्द जैसे संतों ने माता के मन्दिरों के दर्शन किये हैं।
  • अर्बुदा -अधर देवी राजस्थान की माता वैष्णोदेवी देवी मानी जाती है। राजस्थान के माउंट आबू क्षेत्र में झील के पास, पहाड़ों में माता वैष्णोदेवी का मंदिर है। पिछले कई सालों से हर नवरात्रि में यहां पर पूरे देश से लोग आते हैं।

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